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कोविड-19 के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक इस्तेमाल पर चिन्ता

एक महिला का कोविड-19 संक्रमण जाँचने के लिए परीक्षण किया जा रहा है.
© WHO
एक महिला का कोविड-19 संक्रमण जाँचने के लिए परीक्षण किया जा रहा है.

कोविड-19 के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक इस्तेमाल पर चिन्ता

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चिन्ता जताई है कि कोविड-19 महामारी के दौरान, अस्पतालों में भर्ती संक्रमितों के उपचार में एंटीबायोटिक दवाओं का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल किया गया. इससे मरीज़ों की स्थिति में कोई विशेष सुधार तो नहीं हुआ मगर रोगाणुरोधी प्रतिरोध (antimicrobial resistance) का ख़तरा बढ़ने की आशंका पनप गई, जिसमें एंटीबॉयोटिक्स दवाएँ कई तरह के संक्रमण को रोकने में बेअसर साबित होती हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अपने ऐलर्ट में कहा है कि कोरोनावायरस के कारण अस्पताल में भर्ती कुल मरीज़ों में से केवल आठ फ़ीसदी को बैक्टीरिया के कारण संक्रमण भी था. 

इसका उपचार एंटीबायोटिक्स दवाओं से किया जा सकता है, मगर हर चार में से तीन मरीज़ों को बिना विशेष ज़रूरत के ही दवा दे दी गई.

विषाणु, जीवाणु, फफून्दी और अन्य परजीवों में समय बीतने के साथ होने वाले बदलावों के कारण रोगाणुरोधी प्रतिरोध विकसित हो जाता है. इस स्थिति में एंटीबायोटिक व अन्य जीवनरक्षक दवाएँ अनेक प्रकार के संक्रमणों पर असर नहीं कर पाती. 

हर प्रकार के बायोटिक के लिए प्रतिरोधी हो चुके बैक्टीरिया के प्रकार, ‘सुपरबग’ को उभरने व फैलने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का तर्कसंगत ढंग से इस्तेमाल किया जाना ज़रूरी है.

यूएन एजेंसी की प्रवक्ता डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने बताया कि वैश्विक महामारी के दौरान, स्वास्थ्य संगठन की ओर से किसी भी समय कोविड-19 उपचार के लिए एंटीबायोटिक दवा का इस्तेमाल किए जाने की सिफ़ारिश नहीं की गई.  

“शुरुआत से ही सलाह बहुत स्पष्ट थी कि यह एक वायरस है. इसलिए ऐसा नहीं था कि किसी तरह के दिशानिर्देश या कोई सिफ़ारिश थी कि स्वास्थ्यकर्मियों को इस दिशा में जाना चाहिए.”

“मगर, सम्भवत: लोग पूरी तरह से एक नई चीज़ का सामना कर रहे थे, और वे किसी भी ऐसे उपाय को खोज रहे थे जो उनके विचार में उपयुक्त हो सकता था.”

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, पश्चिमी प्रशान्त क्षेत्र में कोविड-19 संक्रमितों के उपचार में 33 फ़ीसदी को एंटीबायोटिक दवाएँ दी गईं. वहीं पूर्वी भूमध्यसागर व अफ़्रीकी क्षेत्र में यह आँकड़ा 83 प्रतिशत था.

2020 और 2022 के दौरान, योरोप और अमेरिका क्षेत्र में दवा के नुस्ख़े में कमी दर्ज की गई, लेकिन अफ़्रीका में उछाल दर्ज किया गया. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध को स्वास्थ्य के लिए 10 शीर्ष वैश्विक ख़तरों में चिन्हित किया है.
© Unsplash/Volodymyr Hryshchenko

अन्तिम उम्मीद

संगठन द्वारा जुटाए गए आँकड़े दर्शाते हैं कि अधिकाँश एंटीबायोटिक दवाएँ, गम्भीर रूप से बीमार कोविड-19 मरीज़ों को दी गईं, और इसके लिए वैश्विक औसत 81 प्रतिशत है.

मामूली रूप से या उससे थोड़ा अधिक संक्रमितों के उपचार में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल भिन्न-भिन्न देखा गया है. यह अफ़्रीका क्षेत्र में सबसे अधिक 79 प्रतिशत रहा.

यूएन एजेंसी का कहना है कि बैक्टीरिया संक्रमण को दूर करने क लिए जिस दवा को सबसे अधिक दिया जाता है, वे वही दवाएँ हैं जिनमें रोगाणुरोधी प्रतिरोध (antimicrobial resistance /AMR) में वृद्धि की सम्भावना सबसे अधिक है. 

सकारात्मक असर नहीं

WHO का कहना है कि एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से कोविड-19 संक्रमितों की स्थिति में कोई ख़ास सुधार नहीं देखा गया.

इसके बजाय, उन्हें ऐसी दवाएँ दिए जाने का उन लोगों को नुक़सान पहुँच सकता था, जिन्हें बैक्टीरिया संक्रमण नहीं था, मगर उन्हें फिर भी दवा दी गई. 

यूएन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ज़ोर देकर कहा है कि मौजूदा निष्कर्ष बताते हैं कि एंटीबायोटिक के इस्तेमाल को तर्कसंगत को अपनाया जाना होगा, ताकि मरीज़ों और आबादियों पर उसका नकारात्मक असर ना हो.

ये निष्कर्ष, कोविड-19 के लिए WHO वैश्विक प्लैटफ़ॉर्म से प्राप्त आँकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है. यह एक ऐसा डेटाबेस है, जिसमें कोविड-19 के कारण अस्पतालों में भर्ती मरीज़ों से जुड़ा डेटा बिना पहचान सार्वजनिक किए संकलित किया जाता है. 

इस डेटा को जनवरी 2020 से लेकर मार्च 2023 तक 65 देशों में साढ़े चार लाख मरीज़ों से हासिल किया गया.