वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

Gaza: युद्ध-ठहराव लागू होने से जागीं उम्मीदें, राहत प्रयास शुरू

फ़लस्तीनी क्षेत्र ख़ान यूनिस में, शरणार्थियों के लिए बनाए गए शिविर में, यूनीसेफ़ ने पानी का वितरण किया है.
© UNICEF/Eyad El Baba
फ़लस्तीनी क्षेत्र ख़ान यूनिस में, शरणार्थियों के लिए बनाए गए शिविर में, यूनीसेफ़ ने पानी का वितरण किया है.

Gaza: युद्ध-ठहराव लागू होने से जागीं उम्मीदें, राहत प्रयास शुरू

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसियों ने बताया है कि इसराइल और हमास के दरमियान चार दिन का युद्ध-ठहराव, शुक्रवार को लागू होने के बाद, राहत सामग्री से भरे ट्रक, मिस्र की तरफ़ से रफ़ाह सीमा चौकी के ज़रिए, ग़ाज़ा में दाख़िल होना शुरू हो गए हैं. 

यूएन मानवीय सहायता कर्मियों ने ग़ाज़ा में युद्ध के विध्वंस का शिकार हुए सभी क्षेत्रों में पहुँच दिए जाने की पुकारें दोहराई हैं, जहाँ मारे गए लोगों की संख्या 15 हज़ार तक पहुँच गई है, और कई लाख लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें से बहुत से लोगों को रास्तों व सड़कों पर सोना पड़ रहा है.

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता मामलों की समन्वयक एजेंसी - UNOCHA के प्रवक्ता जेंस लाएर्के ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों से कहा कि इसराइल और हमास के दरमियान हुए युद्ध-ठहराव के बारे में यह अपेक्षा है कि "इस ठहराव का सम्मान किया जाएगा और हमें उन लोगों तक पहुँचने दिया जाएगा जिन्हें हमारी आवश्यकता है और यह युद्ध-ठहराव, अन्ततः एक वास्तव मानवीय युद्धविराममें तब्दील कर दिया जाएगा."

Tweet URL

मिस्र, क़तर और संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता से, इसराइल व हमास के बीच हुए युद्ध-ठहराव के तहत, उन बन्धकों को भी रिहा किया जाएगा, जिन्हें हमास ने, 7 अक्टूबर को इसराइल में किए गए हमले के दौरान बन्धक बना लिया था. 

साथ ही, इसराइली जेलों में बन्द कुछ फ़लस्तीनी बन्दियों को भी रिहा किए जाने का प्रावधान है.

प्रवक्ता जेंस लाएर्के ने कहा, "हमें आशा है कि यह समझौता... ग़ाज़ा और इसराइल के लोगों को, और रिहा किए जाने वाले बन्दियों व उनके परिवारों को कुछ राहत पहुँचाएगा."

हर जगह, लोगों तक पहुँचने की कोशिश

UNOCHA के प्रवक्ता जेंस लाएर्क ने युद्ध-ठहराव समझौता पर अमल शुरू होने के शुरुआती घंटों के दौरान, बहुत सघन स्थिति का ख़ास ज़िक्र किया और ज़ोर देकर कहा कि राहत हासिल करने के लिए क़तार बहुत लम्बी है.

उन्होंने कहा कि लोग जहाँ भी स्थित हैं, वहीं उन तक पहुँचने के भरसक प्रयास किए जाएंगे. "ग़ाज़ा में नुक़सान और मानवीय ज़रूरतें बहुत विशाल हैं" और ये इलाक़ा बहुत लम्बे समय से दक्षिणी हिस्से से कटा रहा है और इसराइली आक्रमण अभियानों के कारण, वहाँ सहायता भी नहीं पहुँच सकी है.

राहत अभियान व ईंधन

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी – WHO ने भी इस युद्ध-ठहराव के एक टिकाऊ युद्ध विराम में तब्दील होने की आशाएँ व्यक्त की हैं.

एजेंसी के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने उत्तरी ग़ाज़ा के अस्पतालों में फँसे मरीज़ों और स्वास्थ्यकर्मियों की तकलीफ़ों को रेखांकित किया है और कहा कि वहाँ के अस्पतालों से, कुछ और मरीज़ों को बाहर निकालने के मिशन जारी हैं.

यूएन राहत समन्वय एजेंसी -OCHA ने ध्यान दिलाया कि शुक्रवार को प्रातः 7 बजे, युद्ध-ठहराव शुरू होने से पहले तक, बमबारी और हिंसक झड़पों में ख़ासी तेज़ी देखी गई.  इसमें पूरे ग़ाज़ा क्षेत्र में इसराइली हमले, हवा, ज़मीन और समुद्र की दिशाओं से जारी रहे, साथ ही उत्तरी क्षेत्र, विशेष रूप में जबालिया में, फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों के साथ ज़मीनी लड़ाई भी हुई.

युद्धक गतिविधियों में आई इस तेज़ी से अनेक लोगों के हताहत होने की ख़बरें हैं. 

OCHA ने ग़ाज़ा सरकार के मीडिया कार्यालय के हवाले से बताया है कि ग़ाज़ा में इस युद्ध में मारे गए लोगों की संख्या 14 हज़ार 800 से अधिक हो गई है और हज़ारों लोगों के, उनके ही घरों के मलबे में दबे होने की आशंका है.

एजेंसी के प्रवक्ता जेंस लाएर्के ने ज़ोर देते हए कहा है कि मानवीय सहायता अभियानों में तेज़ी लाने के लिए, ईंधन की और अधिक आपूर्ति होने की ज़रूरत है ताकि लोगों को मलबे में से निकाला जा सका क्योंकि बुनियादी ढाँचे और इमारतों का बहुत विशाल विध्वंस हुआ है.

ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में स्थित अल-शिफ़ा अस्पताल में बच्चों का उपचार.
© UNICEF/Eyad El Baba

‘बिल्कुल न्यूनतम’

ग़ाज़ा में लगभग 17 लाख लोग, आन्तरिक रूप से विस्थापित बताए गए हैं. 

उनमें से लगभग दस लाख लोग, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA द्वारा पूरे ग़ाज़ा पट्टी क्षेत्र में बनाए गए 150 से अधिक आश्रय स्थलों में पनाह लिए हुए हैं.

इसराइली सेना ने, उत्तरी ग़ाज़ा से लोगों को निकल जाने के आदेश दिए थे, जिनके बाद लाखों लोग, वहाँ से निकलकर दक्षिणी ग़ाज़ा की तरफञ चले गए थे.

OCHA का कहना है कि दक्षिणी ग़ाज़ा में आश्रय स्थलों में क्षमता से कई गुना ज़्यादा भीड़ है और बहुत से विस्थापितों को, स्कूलों के मैदानों या पास के खुले रास्तों पर सोना पड़ रहा है.

UNRWA के मुखिया फ़िलिपे लज़ारिनी ने गुरूवार को कहा था कि ग़ाज़ा के लोगों को इस बारे में कोई चिन्ता किए बिना अपनी नींद पूरी करने का अधिकार है कि वो अगली सुबह जीवित रह पाएंगे कि नहीं.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “यह बिल्कुल न्यूनतम अपेक्षा है, जो हर किसी को होनी चाहिए.”