ग़ाज़ा पट्टी में इसराइली सैन्य कार्रवाई शुरू होने के बाद से क़रीब 20 लाख फ़लस्तीनी अपना घर छोड़ने और किसी अन्य स्थान पर शरण लेने के लिए मजबूर हुए हैं, जिनमें आधी आबादी बच्चों की है. लगभग 17 हज़ार बच्चे अनाथ हो गए हैं.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के प्रवक्ता जोनेथन क्रिक्स ने फ़रवरी के शुरुआती दिनों में ग़ाज़ा का दौरा किया और कई ऐसे बच्चों से बात की, जिनमें से अधिकाँश ने अपने परिजन खो दिए हैं.
यूनीसेफ़ प्रवक्ता ने एक ऐसे केन्द्र जाकर हालात का जायज़ा लिया, जहाँ ऐसे बच्चों की देखभाल की जाती है, जो अब पूरी तरह से अकेले हैं. उन्होंने दो चचेरे भाई बहनों से मुलाक़ात की, जिनकी उम्र छह और चार साल थी. दिसम्बर के पहले दो हफ़्तों में उनका पूरा परिवार मारा गया था. चार वर्षीय बच्ची अब भी गहरे सदमे में है.
फ़लस्तीन में यूनीसेफ़ की संचार टीम के प्रमुख जोनेथन क्रिक्स ने कहा कि 7 अक्टूबर को जिस तरह की हिंसा हुई, या फिर उसके बाद से हिंसा के जिस स्तर को देखा गया है, किसी भी बच्चे को उसका प्रत्यक्षदर्शी नहीं बनना चाहिए. चाहे वो किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता, भाषा या नस्ल का हो.
ग़ाज़ा में ज़रूरतमन्द बच्चों की आप किस तरह से मदद कर सकते हैं,यह जानने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए.